सीतापुर शानू गुप्ता . सरकार द्वारा चाहे कई अभियान चलाकर ग्राम पंचायतों के उत्थान को लेकर कई कार्य किए जा रहे हैं लेकिन पंचायतों के कमान संभालने वाले सरपंच सचिव क्या सारी योजनाओं पर कार्य सुचारू रूप से एवं पारदर्शिता से कर रहे हैं या अपनी जेब भरने में लगे हैं
शासन द्वारा जारी की गई सारी योजनाएं ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे लोगों को आगे लाने एवं उत्थान करने को लेकर रहती हैं लेकिन इन योजनाओं का पीछे का जो चेहरा होता है काफी भ्रष्टाचार से नहलाया हुआ चेहरा होता है जो छोटे-छोटे कार्य ग्राम पंचायतों को विकास को लेकर किए जा रहे हैं वह कार्य आज पूरी तरह से भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ता दिखाई दे रहा है ऐसा ही मामला सीतापुर क्षेत्र के ग्राम पंचायतों में देखने को आया है की जनपद पंचायत के आला अधिकारियों के नाक के नीचे या यह कहें जनपद पंचायत के बहुत ही करीब के ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार की सीमा अपने चरम पर है योजना के अनुसार कुआं मरम्मत इंदिरा आवास तथा अन्य पंचायतों के लाभ की योजनाएं अब सरपंच सचिवों के लाभ की योजनाएं बन चुकी है क्या यह माना जाए इन योजनाओं का लाभ ग्राम वासियों को ना होकर तथाकथित सरपंच सचिव को हो रहा है या इसमें उच्च अधिकारियों की मिलीभगत भी है क्योंकि सामने हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने में उच्च अधिकारी कोई भी पहल नहीं कर रहे हैं इसे देखते हुए उनकी कार्य पद्धति पर एक सवालिया निशान खड़ा होता नजर आ रहा है और तो और उन भ्रष्टाचारी सरपंच सचिव से सवाल करने पर उनके द्वारा अपने दलाल से धमकी दी जाती है की कोई हमसे सवाल पूछेगा तो हम उसे झूठे मामले में फसाकर उनके खिलाफ मामला दर्ज कराएंगे।
शासन द्वारा जारी की गई सारी योजनाएं ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे लोगों को आगे लाने एवं उत्थान करने को लेकर रहती हैं लेकिन इन योजनाओं का पीछे का जो चेहरा होता है काफी भ्रष्टाचार से नहलाया हुआ चेहरा होता है जो छोटे-छोटे कार्य ग्राम पंचायतों को विकास को लेकर किए जा रहे हैं वह कार्य आज पूरी तरह से भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ता दिखाई दे रहा है ऐसा ही मामला सीतापुर क्षेत्र के ग्राम पंचायतों में देखने को आया है की जनपद पंचायत के आला अधिकारियों के नाक के नीचे या यह कहें जनपद पंचायत के बहुत ही करीब के ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार की सीमा अपने चरम पर है योजना के अनुसार कुआं मरम्मत इंदिरा आवास तथा अन्य पंचायतों के लाभ की योजनाएं अब सरपंच सचिवों के लाभ की योजनाएं बन चुकी है क्या यह माना जाए इन योजनाओं का लाभ ग्राम वासियों को ना होकर तथाकथित सरपंच सचिव को हो रहा है या इसमें उच्च अधिकारियों की मिलीभगत भी है क्योंकि सामने हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने में उच्च अधिकारी कोई भी पहल नहीं कर रहे हैं इसे देखते हुए उनकी कार्य पद्धति पर एक सवालिया निशान खड़ा होता नजर आ रहा है और तो और उन भ्रष्टाचारी सरपंच सचिव से सवाल करने पर उनके द्वारा अपने दलाल से धमकी दी जाती है की कोई हमसे सवाल पूछेगा तो हम उसे झूठे मामले में फसाकर उनके खिलाफ मामला दर्ज कराएंगे।
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