Skip to main content

आज कुछ संपादकीय से संपादक के दिल से

अंबिकापुर आज का युवा वर्ग और सम्मानित वर्ग या बुजुर्ग वर्ग क्या आपस में तालमेल बिठाने में सफल हो पाया है बुजुर्गों के हिसाब से युवा वर्ग पूरी तरह से स्वतंत्र एवं निश्चिंत माना जाता रहा है लेकिन इस विचार को क्या युवा वर्ग स्वीकार करता है युवा द्वारा या विचारधारा बनाई जाती है कि हमारे द्वारा किया जाने वाला कार्य पूरी तरह से सही एवं अंग्रेजी में कहें तो परफेक्ट है लेकिन युवा वर्ग एवं बुजुर्ग वर्ग के बीच की जो कड़ी है
या जो विचारधारा है उसको लेकर सोचें तो क्या तो कौन सही है कौन गलत है आइए आज इसी बात पर एक चर्चा हो जाए
आज का युवा वर्ग आईटी सेक्टर जो पूरी तरह से हमारे समाज को अपने दायरे में ले चुका है आज हम अपनी सूचना एवं संवेदनाएं आपस में आईटी सेक्टर के जरिए ही प्रदर्शित करते हैं या तो या कहें कि हम आईटी सेक्टर के गुलाम हो चुके हैं आज हमारे पास इतना समय नहीं है की हम किसी व्यक्ति विशेष के पास बैठकर उसके सुख-दुख जान सके या अपने सुख दुख का पुलिंदा उसे सुना सके आज हमारी जीवन शैली इतनी व्यस्त या कहें अस्त व्यस्त हो चुकी है कि हम अपने सोच को ही सही मानने को अपनी विचारधारा बना चुके हैं और इसी बात को लेकर आज हमारे युवा वर्ग एवं बुजुर्ग वर्ग के विचारों में टकराव उत्पन्न होता नजर आ रहा है क्योंकि हमारे बुजुर्ग वर्ग जिन्होंने हमें एक ऐसा ज्ञान दीया जिसमें आईटी सेक्टर ना होकर संवेदनाओं का सेक्टर बहुत ज्यादा था जिसमें हमारी मां हमारे पिता एवं हमारे बुजुर्ग हमें ज्ञान हमारे सिर पर हाथ रखकर देते थे नाकी आईटी सेक्टर के हमारे फोटो को लाइक एवं कमेंट करके देते थे आज का दौर लाइक और कमेंट का ही बनकर रह गया है आज चाहे हमारे समाज में इंटरनेट की दुनिया ने पूरी तरह से कब्जा जमा लिया है लेकिन क्या हमारे सर पर हाथ रख कर बात करने का समय किसी के पास रहा है या मित्रों की ही बात करें तो मित्र आपस में मिलना तो दूर सिर्फ उसकी फोटो देखकर लाइक करने में ही अपनी मित्रता निभाना समझ रहे हैं यह हमारा युवा वर्ग आईटी सेक्टर को लेकर ऐसे अंधकार जीवन में ज्यादा नजर आ रहा है जिसका आने वाले समय में ना कोई और होगा या छोर इन बातों को देखते हुए ऐसा लगता है कि हम एकपक्षीय बातों को लेकर चल रहे हैं जिसमें युवा वर्ग का जवाब दिया होगा बिना आईटी सेक्टर के जीवन क्या और बुजुर्ग और का जवाब होगा की बिना आईटी सेक्टर के क्या हमारा जीवन नहीं था यह दोनों सवाल दोनों वर्ग को अधर में डाले हुए हैं युवा वर्ग जहां आज आईटी सेक्टर में काफी संभावनाएं एवं रोजगार की जीवन उदाहरण बनते नजर आ रहे हैं लेकिन आईटी सेक्टर के पति पूरी तरह से निर्भर होते भी नजर आ रहे हैं युवा वर्क का कहना एक तरह से सही होगा की बिना आईटी सेक्टर के आज के युग में जीवन जीना मुश्किल है लेकिन हमारे सम्मानित बुजुर्ग वर्ग का भी कहना सौ टके सही है की आईटी सेक्टर के बिना भी जीवन संभव है आज हम अपनी संवेदनाएं एवं अपने मन की बात सिर्फ मोबाइल में बता पाते हैं क्या हमारे बुजुर्ग के गोद में बैठकर या उनके सानिध्य में बैठकर हम अपनी बात बता पाते हैं यह बहुत बड़ी दुविधा की बात है जो आने वाले समय में बहुत बड़ी समस्या के रूप में सामने आने वाली है क्योंकि आज की जनरेशन अपने पित्ताशय खुलकर बात करने को तैयार नहीं है आने वाले जनरेशन का क्या होगा जब पूरी तरह से जीवन आईटी सेक्टर का हो चुका होगा क्या उस समय के बच्चे अपने बुजुर्गों का ध्यान उसी तरह रख पाएंगे जिस तरह चिरकाल समय में एक पुत्र अपने पिता का ध्यान रख पाता था या पिता अपने पुत्र का ध्यान रखता था या खबर किसी वर्ग को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं बनाई गई थी यह विचारधारा है जिसे हम पढ़ कर कुछ सोचे क्या आईटी सेक्टर हमारी जीवन चर्या है आज हमारे बड़े बड़े नेता आईटी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए बड़ी बड़ी बातें करते नजर आ रहे हैं यह हमने मोबाइल की दुनिया को एकदम सस्ता कर कर लोगों को आपस में जोड़ रखा है लेकिन क्या मोबाइल से जोड़ना है जीवन है मुझे नहीं लगता एक संपादक के नाते जो दिल के रिश्ते हैं या जो जनरेशन के रिश्ते हैं उन्हें रिश्तो के हिसाब से ही निभाया जाए इससे अच्छा तो आईटी सेक्टर महंगा ही था तो अच्छा था कम से कम लोग इसका उपयोग तो कम किया करते थे जिससे लोगों में कम्युनिकेशन सीधे आमने सामने हो जाया करते थे लेकिन आज सामान भी ऑनलाइन खरीदे जाते हैं इस ऑनलाइन का मतलब कि घर बैठे खरीदे जाते हैं लेकिन जब हम किसी दुकान पर सामान खरीदने जाते थे तो वहां एक दो लोग परिचय के मिल जाते थे उनसे वार्तालाप हो जाती थी और दुख सुख की बातें हो जाती थी इस लेख को पढ़ने के  बाद  शायद युवा वर्ग एवं बुजुर्ग वर्ग में कुछ दायरे कम होंगे

Comments

Popular posts from this blog

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

E.e. Pmgsy jaspur 

ब्रेकिंग. बस का ब्रेक फेल बड़ा हादसा टला

राजपुर. स्वर्ण मिश्रा. आज सुबह छाबड़ा बस जो अंबिकापुर से चांदो जाती है उस बस का अचानक राजपुर बस स्टैंड में ब्रेक फेल हो गया बस में यात्री खचाखच भरे हुए थे बस खड़ी होने से बड़ी दुर्घटना होने से बच गई । जानकारी के अनुसार छाबड़ा बस क्रमांक CG 15 एबी 0 511 जो कि अंबिकापुर बस स्टैंड से चांदो की ओर यात्रियों को लेकर जा रही थी तभी बस जब राजपुर बस स्टैंड पहुंची पहुंची तब चालक ने जैसे ही बस को स्टैंड में खड़ा किया तो अचानक बस का ब्रेक फेल हो गया जिस से बस स्वयं ही पीछे जाने लगी ऐसा होता देख बस में सवार यात्री गण चीखने चिल्लाने लगे बस पीछे जाते हुए  वहां पास  खड़े पानी के टैंकर एवं  बाउंड्री से  टकराकर  रुक गई  यदि  बस का ब्रेक  स्टैंड में  फैल ना होकर  चलते हुए  फेल होती तो  एक बड़ी दुर्घटना  हो सकती थी  बस संचालकों द्वारा  बस के  फिटनेस के ऊपर  कितना ध्यान दिया जाता है इस घटना से  सामने आ चुका है। आरटीओ द्वारा की जाती है फिटनेस की जांच इस तरह की घटनाओं से आरटीओ द्वारा समय-समय पर की जाने वाली फिटनेस की जांच  पर सवालिया निशान उठता नजर आ रहा है इस तरह के कोई कंडम बसें सड़कों पर दौड़ती नजर

पूर्व विवादित शराब दुकान में सघन जांच

अजय ठाकुर .. शुरू से ही विवादों में रहा गंगा पुर शराब दुकान जिस के समीप में सटा हुआ रोजगार कार्यालय जोकि युवाओं के रोजगार से जुड़ा हुआ पंजीयक कार्यालय है जहां उपस्थित शराब दुकान शुरू से ही विवादों में घिरा रहा है जहां के आसपास के रहवासी एवं दुकान संचालक वहां शराब परोसने से लेकर अपना बैठाकर पिलाना एवं चखना बेचना को अपनी उपार्जन की मूल साधन बना चुके थे इसकी शिकायतें लगातार लोगों द्वारा की जा रही थी शिकायतों के अंबार लगने के बाद आज आबकारी विभाग एवं गांधी नगर थाना के द्वारा सामूहिक कार्रवाई करते हुए आसपास के दुकानों को बंद कराया गया एवं समझाइश दी गई कि यहां बैठा कर शराब का सेवन नहीं करने दे इस कार्रवाई में किसी भी प्रकार की सामानों की जब्ती कार्रवाई नहीं की गई जब पुलिस  एवं आपकारी के संयुक्त टीम पहुंची तब तक वह आस-पास बैठकर शराब सेवन कर रहे हैं शराबी नदारद हो चुके थे